स्वातंत्र्य वीर सावरकर (Swatantra Veer Savarkar) में रणदीप हुड्डा (Randeep Hooda) ने मुख्य भूमिका निभाई है इसके अलावा उन्होंने इस फिल्म को डायरेक्ट भी किया है। इस फिल्म में अंकिता लोखंडे और अमित सिएल भी शामिल हैं। यह फिल्म 22 मार्च को थिएटर में रिलीज हो चुकी है।
फिल्म की कहानी
इस फिल्म की कहानी स्वतंत्र वीर सावरकर यानी विनायक दामोदर सावरकर पर आधारित है। इसकी कहानी 1900 की शुरुआत से लेकर उनकी मृत्यु तक है फिल्म में रणदीप हुड्डा ने दामोदर सावरकर की भूमिका को निभाया है। इस फिल्म में अभिनव भारत अभियान और सावरकर की ग्रेट ब्रिटेन यात्रा को भी दिखाया गया है ।इस फिल्म में सावरकर की पूरी उसे जर्नी को दिखाया गया है जो उन्हें भारत के सबसे पावरफुल आंदोलनकारी के रूप में स्थापित करती है।
फिल्म का डायरेक्शन
इस फिल्म में न केवल रणदीप ने मुख्य भूमिका निभाई है बल्कि फिल्म का डायरेक्शन और प्रोडक्शन का काम भी संभाला है। फिल्म की कहानी को उत्कर्ष नैथानी ने लिखा है। इस फिल्म पर रणदीप की मेहनत साफ दिखाई देती है। यह फिल्म लगभग 3 घंटे लंबी है और शुरुआत से ही अपने किरदारों से दर्शकों को जोड़ने लगती है। फिल्म की सिनेमैटोग्राफी भी अच्छी है जहां एक ओर फिल्म में रणदीप ने खुद बेहतरीन ऐक्टिंग की है वहीं दूसरे कलाकारों ने भी फिल्म में बेहतरीन अभिनय किया है और बतौर डायरेक्टर रणदीप भी इस के लिए बधाई के पात्र हैं।
अपनी पहली ही डायरेक्टरल फिल्म में रणदीप ने कमाल कर दिखाया है। 19वीं सदी के जो सीक्वेंस रचे गए हैं वह बेहद असली लगते हैं। जेल सीक्वेंस में भी रणदीप के डायरेक्शन ने ऐसी जान डाली है कि दर्शकों की रूह कांप जाती है। हालांकि कहीं-कहीं फिल्म की कहानी थोड़ी स्लो जरूर लगती है लेकिन जरूरत पड़ने पर कहानी रफ्तार भी पकड़ लेती है।
फिल्म में एक्टिंग

जैसा कि हम जानते हैं रणदीप ने फिल्म में वीर सावरकर का मुख्य किरदार निभाया है उस हिसाब से फिल्म में केवल रणदीप ही रणदीप दिखाई देते हैं। रणदीप को देखकर यही लगता है कि शायद ही उनसे बेहतर कोई और सावरकर के किरदार को पर्दे पर उतर पाता। फिल्म देखकर ऐसा लगता है जैसे मानो हम खुद दामोदर सावरकर को ही परदे पर अभिनय करते हुए देख रहे हों। काला पानी वाले सीक्वेंस में भी रणदीप ने ऐसी बेहतरीन ऐक्टिंग की है कि लोगों की रूह कांप जाती है। रणदीप अपनी गहराई तक उतरी हुई अदाकारी के लिए ही जाने जाते हैं और उन्होंने इस फिल्म में एक बार फिर वही कर दिखाया है। इससे पहले सरबजीत में भी रणदीप ने खुद को मिटा कर रख देने वाली एक्टिंग की थी इस फिल्म को देखकर भी आप कुछ वैसा ही समझ सकते हैं।
फिल्म में अमित सियल ने सावरकर के भाई का किरदार निभाया है और अंकिता लोखंडे ने उनकी पत्नी का। दोनों ने बेहतरीन ऐक्टिंग की है फिल्म में कुछ कास्टिंग कहीं कहीं ऑफ जरूर लगती है लेकिन रणदीप की एक्टिंग को अगर मद्देनजर रखा जाए तो कुछ भी फीका नहीं लगता है।
फिल्म का रिव्यू और रेटिंग
हमारे देश में स्वतंत्रता संग्राम में कई स्वतंत्रता सेनानियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया लेकिन उनके बारे में हम सभी को बहुत कम जानकारी है। उन्ही स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में से एक थे दामोदर सावरकर। उन्होंने हमारे देश के लिए कई यातनाएं और कष्ट झेले। इस फिल्म को देखकर आपको इन सभी के बारे में जानकारी मिलेगी। अगर आप पैट्रियोटिज्म वाली फिल्म देखना पसंद करते हैं तो यह फिल्म आपके लिए ही बनी है। फिल्म का संगीत उतना बेहतरीन नहीं है कि आपकी रगों में जोश जगा सके लेकिन रणदीप की एक्टिंग वह काम बखूबी करती है।
अगर आप आजादी से जुड़े हुए कुछ नए पहलुओं से अवगत होना चाहते हैं तो आप जरूर यह फिल्म देख सकते हैं और अगर आप रणदीप के फैन हैं तो फिर डेफिनेटली आपको यह फिल्म देखनी ही चाहिए।
नवभारत टाइम्स ने इस फिल्म को 5 में से तीन की रेटिंग दी है। वहीं दैनिक भास्कर ने इस फिल्म को पांच में से 3.5 की रेटिंग दी है। इसके अलावा अमर उजाला और एबीपी न्यूज ने भी फिल्म को पांच में से तीन की रेटिंग दी है। आईएमडीबी ने इस फिल्म को 10 में से 8 रेटिंग दी है।