अगर आप भी थिएटर में विजय , त्रिशा और संजय दत्त द्वारा अभिनीत लियो देखने का प्लान बना रहे हैं तो यह मूवी रिव्यू केवल आपके लिए है। जब से लोकेश कनगराज ने विजय के साथ यह फिल्म अनाउंस की थी तब से ही फैन्स इस फिल्म में एलसीयू कनेक्शन ढूंढने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन इस पर डायरेक्टर ने कोई भी जवाब नहीं दिया। अब तो फिल्म देखने के बाद ही उनके फैंस डिसाइड करेंगे कि इसमें कनगराज का सिनेमैटिक यूनिवर्स है या नहीं।
फ़िल्म का प्लाट
इस फिल्म में पार्थीबन और उसकी पत्नी सत्या की कहानी को दिखाया गया है जो अपने दो बच्चों के साथ हिमाचल प्रदेश में शांति से भरा जीवन बिता रहे हैं। वह एक कॉफी शॉप चलाते हैं लेकिन उन दोनों का जीवन पूरी तरह से तब बदल जाता है जब पार्थिबन को अपनी हीरोपंती के लिए समाचार और न्यूज़ पेपर में दिखाया जाता है। उसे पर एंटनी दास और हेराल्ड दास नाम के दो लोगों की नजर पड़ती है। उन्हें लगता है कि पार्थीबन और कोई नहीं बल्कि उनका बिछड़े हुआ रिश्तेदार लियो दास है। इसके बाद से दोनों उसके परिवार के पीछे पड़ जाते हैं। वह नहीं जानता है कि उसका उन दोनों व्यक्तियों के साथ क्या कनेक्शन है। पार्थीबन केवल अपने परिवार को बचाना चाहता है।
फ़िल्म का म्यूजिक
इस फिल्म में कुल 5 गाने हैं। इसके अलावा फिल्म में बैकग्राउंड स्कोर भी है जिसे बेहतरीन कहा जा सकता है। इस फिल्म में अनिरुद्ध रविचंद्र ने गाने गए हैं , इन्होंने जवान में भी गाने गए थे।
फ़िल्म की रेटिंग और रिव्यु
इस फिल्म को आईएमडीबी ने 10 में से 8.9 की रेटिंग दी है। वही टाइम्स आफ इंडिया ने इसे पांच में से 3.8 रेटिंग दी है।
लियो की शुरुआत एकदम धमाकेदार होती है और तेज गति से फिल्म की कहानी आगे बढ़ती है। साथ ही साथ कुछ देर में फिल्म में विजय के किरदार का पूरा स्ट्रक्चर तैयार कर दिया जाता है कि कैसे वह एक कॉफी शॉप के मालिक से वह एक ऐसे व्यक्ति में तब्दील हो गया है जो अपने परिवार को मुसीबत से बचने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। इस फिल्म में बेहतरीन एक्शन सीक्वेंस देखने को मिलते हैं। हम सभी जानते हैं कि साउथ सिनेमा में बेहतरीन एक्शन सीक्वेंस होते हैं और विजय की एक्टिंग के लिए तो क्या ही कहा जाए।
फिल्म का सेकंड हाफ काफी सारे मुद्दों से भरा हुआ है। फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर भी बहुत बेहतरीन है। फिल्म के सेकंड हाफ और आखिरी के 1 घंटे में इसका म्यूजिक दर्शकों को काफी राहत देता है। अनिरुद्ध ने जिस तरह से बैकग्राउंड म्यूजिक दिया है वह न केवल सीन की वैल्यू को बढ़ा देता है बल्कि सीन एकदम टॉप नॉच पर पहुंच जाता है। फिल्म के डायरेक्टर्स और मेकर्स ने फिल्म की स्टोरी राइटिंग की कर्मियों को छुपाने के लिए फिल्म में एक्शन सीक्वेंस को जबरन घुसाने की कोशिश की है। इस फिल्म की स्टोरी उतनी ज्यादा अट्रैक्टिव नहीं है इसलिए फिल्म की मारधाड़ भी दर्शकों को उतना प्रभावित नहीं करेगी , खासतौर से सेकंड हाफ में।
एक चीज जो इस फिल्म में दर्शकों को ज्यादा डिस्ट्रैक्ट कर सकती है वह है फिल्में आने वाले फ्लैशबैक। फिल्म में बहुत ज्यादा फ्लैशबैक है जो लंबे समय तक चलते हैं। फिल्म में कैरेक्टर स्केच को भी प्रभावित तरीके से नहीं लिखा गया है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि फिल्म का फर्स्ट हाफ देखने योग्य है लेकिन फिल्म का सेकंड हाफ उतना कमाल नहीं है।
फिल्म में विजय के अलावा संजय दत्त को भी देखा गया है। संजय दत्त ने फिल्म में बेहतरीन एक्टिंग तो की है पर उनका कैरेक्टर स्केच बेहतरीन ना होने की वजह से वह फिल्म में वे फ़ीके नजर आते हैं।
इसके अलावा अगर पुलिस ऑफिसर के रूप में गौतम के कैरेक्टर की बात की जाए तो उन्हें एक बेहतरीन रोल मिला है। और अगर बाकी कलाकारों की बात की जाए तो सभी ने अपने-अपने हिस्से में अच्छा प्रदर्शन किया है।
विजय की यह मोस्ट अवेटेड फिल्म थी तो अगर आप विजय के फैन है तो आपको यह फिल्म देखनी चाहिए।
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